इन्ही हाँथों ने संभाला जब जन्मा ही था,
इन्ही हाँथों ने चलना सिखाया।
सदा होंसला दिया इन्ही हाँथों ने,
गले से लगाया इन्ही हाँथों ने, जब आँसू बहे आँखों से।
प्यार से पुचकारा इन्ही हाँथों ने,
बिनबोले सहलाया दर्दों को, इन्ही हाँथों ने।
इन्ही हाँथों ने मंज़िल की ओर इशारा कर, तारों तक पहोंचना सिखाया,
तालिओं की गूँज भी फिर, इन्ही हाँथों ने की, मंज़िल पाने पर।
आज ये हाँथ, हैं रूखे-सूखे और बेजान,
सालों की मेहेनत ने किया है, हाल बुरा इन हाँथों का।
झूरियाँ दे रही है गवाही, इन हाँथों की लम्बी उम्र की,
बारी है मेरी, अब प्यार से सेहेलाने की, इन हाँथों को।
No comments:
Post a Comment